HIDIMBA DEVI TEMPLE MANALI
हिडिम्बा देवी मंदिर ,मनाली। HIDIMBA DEVI TEMPLE IN HINDI ,MANALI
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HIDIMBA DEVI TEPMLE |
हिमाचल प्रदेश के मनाली में स्थित हिडिम्बा देवी का मंदिर अपनी पौराणिक कथा के और बनावट के लिए पुरे भारत में प्रसिद्ध है लोग यहाँ पूरी दुनिया के अलग अलग हिस्से से घूमने आते है मंदिर चारों तरफ से घने देवदारों के पेड़ों से घिरा हुआ होने की वजह से ये मंदिर और भी खूबसूरत लगता है।
आज में आपको एक ऐसे मंदिर के बारें में बताने जा रहा हूँ जिसका सीधा सम्बन्ध भारत वर्ष के सबसे बड़े ग्रन्थ महाभारत से है।
हिन्दू धर्म के पौराणिक ग्रंथों में सबसे बड़े ग्रन्थ महाभारत के बारे में तो जानते ही होंगे जब कोई महाभारत का नाम सुनता है तो सबसे पहले सिर्फ़ एक बात ही मन में आती है वो है युद्ध 100 कौरवों का 5 पांडवो से जिसे इस ग्रन्थ में धर्मयुद्ध भी कहा गया है अगर आपने महाभारत पढ़ी हो या महाभारत का नाट्य रूपांतरण देखा हो तो आपको ये अवश्य पता होगा की इस युद्ध को धर्म युद्ध क्यों कहा गया है। और इन्ही 5 पांडवों में से एक पांडव महाबली भीमसेन की पत्नी है हिडिम्बा देवी। हिडिम्बा देवी पहले देवी के रूप में नहीं बल्कि एक राक्षसी के रूप में पहचानी जाती थीं।
हिडिम्बा देवी मंदिर इतिहास हिंदी में। HIDIMBA DEVI TEMPLE HISTORY IN HINDI
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HIDIMBA DEVI TEMPLE HISTORY IN HINDI |
तो में अब आपको बताता हूँ की कैसे हिडिम्बा देवी के मंदिर का इतिहास भारत के सबसे बड़े ग्रन्थ महाभारत से जुड़ा हुआ है
पौराणिक ग्रन्थ महाभारत के अनुसार 100 कौरव भाइयों का 5 पांडव भाइयों से हमेशा से बैर ही रहा,बाहर से आपस में प्रेम भाव था लेकिन मन ही मन पांडवों से इतनी नफरत करते थे की जैसे वो उनके भाई नहीं दुश्मन हो कौरव भाइयों के ये नफरत पांडवों के लिए इतनी बढ़ गयी थी की एक दिन कौरवों ने पांडवों को मारने की साजिश की कौरवों ने वारणावर्त जगह में लाक्षाभवन का निर्माण करवाया जो एक ऐसा भवन था जो थोड़ी सी आग के स्पर्श में ही जल कर राख हो जाता। जब भवन बन कर तैयार हुआ तो कौरवों ने अपना प्रेमभाव प्रकट करने के लिए पांडवों को उस भवन में जाने के कहा उनका ये प्रेमभाव देख कर पांडव मना नहीं कर सके और पांचों भाई माता कुंती के साथ उस भवन में पहुंच गए।
लाक्षाभवन पहुँचने से पहले विदुर जी ने पांडवों में सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर को सांकेतित शब्दों में कहा की ज्ञानी पुरुष को अपने दुश्मनों की मन की भावना को समझ कर अपनी रक्षा करनी पड़ती है ये एक ऐसा अस्त्र है जो लोहे का तो नहीं है लेकिन शरीर को नष्ट अवश्य कर सकता है अगर दुश्मन की साजिश के दाँव को कोई समझ गया तो वो अपनी मौत से अवश्य अपनी रक्षा कर सकता है और कहा आग जंगलों को तो जला सकती है लेकिन बिल में रहने वाले जीव जंतुओं को नहीं वो अपनी रक्षा बिल की वजह से कर लेते है। बातें तो और भी बहुत सी विदुर जी ने युधिष्ठिर को समझाई लेकिन उन्हें जानने के लिए आपको यह पवित्र ग्रन्थ पढ़ना पढ़ेगा अगर में यहाँ बताना शुरू करूँगा तो यह लेख बहुत बड़ा हो जायेगा।
लाक्षाभवन पहुंचने के बाद पांडव और माता कुंती जब भवन के अंदर भवन को देख रहे थे तो उसी समय कौरवों में बड़े भाई दुर्योधन के भेजे सिपाई पुरोचन ने भवन के बाहर दरवाजे पर आग लगा दी और आग लगते ही भवन में आग तरफ फैलने लगी जब पांडवों ने आग को बढ़ते देखा तो उनको बाहर निकलने का रास्ता नहीं दिखा रहा था उसी पल युधिष्ठिर को विदुर जी की कही बातें याद आई और उन्होंने उस भवन के नीचे सुरंग खोद ली और अपने और माता कुंती के प्राणों की रक्षा की।
सुरंग से बहार निकले तो वो किसी जंगल से होते हुए गंगा नदी के तट पर जा पहुँचे फिर उन्होंने नौका की साहयता से गंगा नदी पार की और बहुत चलने के बाद वो एक घने जंगल में जा पहुंचे वहां पहुंचने के बाद उन्होंने विश्राम किया और भूख प्यास और थकावट से परेशान वो सभी भीमसेन को छोड़ कर सभी सो गए।
जिस जंगल में वो जा पहुंचे उसी जंगल में एक शाल वृक्ष पर हिडिम्बासुर बैठा हुआ था वो बड़ा पराकर्मी और नरभक्षी था उसे भी उस समय भूख लगी थी की अचानक उसे कही से मनुष्यों की खुसबू आने लगी खुसबू पाकर वो इधर उधर देखने लगा तभी उसकी नजर पांडवों पर पड़ी और वो अपनी बहन हिडिम्बा से कहा मुझे आज बहुत दिनों के बाद मनुष्यों का भोजन करने को मिलेगा और कहा तुम जाओ और इन मनुष्यों को मारकर ले आओ फिर हम दोनों मिलकर इन्हे खाएंगे अपने भाई की बात सुनते ही राक्षसी हिडिम्बा पांडवों के पास पहुंच गयी और वहाँ जाकर देखा की उनमे से भीमसेन को छोड़ सभी सो रहे थे
महबली भीमसेन के विशाल शरीर और उनके सुंदर रूप को देख कर हिडिम्बा का मन बदल गया और वो मन ही मन सोचने लगी की ये तो मेरे पति बनाने योग्य है में अब अपने भाई की बात नहीं मानूगी और इनको नहीं मारूंगी।
फिर हिडिम्बा ने मानुषी रूप धारण किया और वो भीम के पास गयी और बोली हे महाबली कौन है आप और जमीन पर सो रहे ये पुरुष और बूढ़ी स्त्री कौन है आपको पता नहीं इस जंगल में राक्षस रहते हैं जो मनुष्यों को खाते हैं और हिडिम्ब नाम का राक्षस तो यहाँ पेड़ में ही रहता है और में उसी हिडिम्ब की बहन हिडिम्बा हूँ जो आप सभी को मारकर ले जाने के लिए यहाँ आयी थी लेकिन मेने आपके सुन्दर रूप को देख कर आपको अपने मन ही मन अपना पति बना चुकी हूँ।
उधर हिडिम्ब राक्षस सोच रहा था मेरी बहन को गए हुए कभी समय हो गया है और वो शाल वृक्ष से नीचे उतर कर पांडवों की ओर आने लगा हिडिम्ब को आते देख हिडिम्बा भीमसेन से बोली वो आ रहा है मेरा नरभक्षी भाई आप लोगो को खाने आप लोग यहाँ से चलो नहीं तो वो सबको खा जायेगा। भीमसेन बोले तू डर मत मेरे होते हुए इनका कोई बाल भी बाँका नहीं कर सकता है इतने में हिडिम्ब वहाँ आ पंहुचा और दोनों के बीच भीषण युद्ध जिसमे भीमसेन ने उस युद्ध में हिडिम्ब को मार गिराया।
इधर युद्ध के दौरान चारों पांडव और माता कुंती जाग चुकी थीं और हिडिम्बा ने उन्हें सारा वृतांत सुना दिया उसके बाद वहां कुछ ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हुई जिसके चलते माता कुंती ने भीमसेन और हिडिम्बा का विवाह करवा दिया फिर उन्हें कुछ समय बाद हिडिम्बा ने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम घटोत्कच रखा गया जिसकी वीरता महाभारत के धर्मयुद्ध में मिलती है।
और यही जगह वर्तमान में मनाली के हिडिम्बा देवी के मंदिर के रूप में जानी जाती है। और यह भी कहा जाता है की हिडिम्बा ने अपनी राक्षसी पहचान को ख़त्म करने के लिए हिडिम्बा ने कई वर्षों तक इसी तपस्या की थी जिसके फलस्वरूप उन्हें देवी होने का वरदान प्राप्त हुआ।
हिडिम्बा देवी मंदिर। HIDIMBA DEVI TEMPLE IN HINDI
इस मंदिर का यह निर्माण जो इसकी बनावट है इसको सन 1553 में महाराज बहादुर सिंह ने करवाया था और आज वर्तमान इन्ही महाराज की याद में इस जगह एक बहुत बड़े महोत्सव का आयोजन किया जाता है जिसे देखने के लिए श्रद्धालुुओं की भीड़ हर साल यहाँ उमड़ती है
हिडिम्बा देवी मंदिर की सबसे खास बातों में यह खास बात है की मंदिर के अंदर मूर्ति की नहीं बल्कि हिडिम्बा देवी के पद चिन्हों की पूजा होती है
हिडिम्बा देवी मंदिर का समय। HIDIMBA DEVI TEMPLE TIMING
मंदिर में प्रवेश करने के लिए कोई टिकट नहीं लगता है और मंदिर सुबह 8 बजे से खुल जाता है और शाम को 6 बजे तक खुला रहता है
हिडिम्बा देवी मंदिर कैसे पहुँचे। HOW TO REACH HIDIMBA DEVI TEMPLE IN HINDI
मंदिर मनाली के मॉल रोड से लगभग 3 किलोमीटर दूर है आप यहाँ टैक्सी की सहायता से पहुँच सकते हो और मनाली आप बस , ट्रैन , हवाई यात्रा से भी पहुंच सकते हो।
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