वैष्णो देवी यात्रा। Vaishno Devi Yatra in Hindi

वैष्णो देवी यात्रा 2023 ।  VAISHNO DEVI YATRA 2023 IN HINDI 



Vaishno Devi Yatra 2023 in Hindi - माता वैष्णो देवी का मंदिर जम्मू में स्थित भारत का वह पवित्र तीर्थ स्थल है जिसके दर्शन करने के लिए लाखों श्रद्धालु हर साल यहाँ आते है भारत के हर कोने से लोग यहाँ पहुँचते है कहते है ना की माता का जब बुलावा आता है तो भक्त कैसे भी माता के मंदिर तक पहुँच ही जाते है और उनकी सभी मनोकामनाएँ भी पूर्ण होती है 



VAISHNO DEVI YATRA IN HINDI
VAISHNO DEVI YATRA 


वैष्णो देवी मंदिर का इतिहास। VAISHNO DEVI TEMPLE HISTORY IN HINDI | History of Vaishno Devi in Hindi


VAISHNO DEVI TEMPLE HISTORY IN HINDI
VAISHNO DEVI YATRA 2022

History of vaishno devi in hindi - माता वैष्णो देवी के मंदिर की मान्यता यह है की माता ने अपने परम भक्त श्री धर के सारें गाँव वालों के सामने लाज रखी थी और अपने शत्रु को भी माता ने अपने भक्त  के रूप में स्वीकार किया था और जिससे सारे संसार को उनके अस्तित्व का प्रमाण मिला था  और माता ने अपने शत्रु को वरदान भी दिया की। 

हिन्दू धर्म की पौराणिक कथा के अनुसार माता Vaishno Devi  के परम भक्त श्रीधर  ने अपने गाँव में एक बार बहुत बड़े भंडारे का आयोजन करवाया था जिस भंडारे में पंडित श्रीधर ने सारे गाँव वालो और सभी साधु संतो को भी बुलाया था। 

लेकिन गाँव के किसी भी व्यक्ति और साधु संतो को इस बात पर यकीन नहीं हो रहा था की उस गरीब पंडित श्रीधर ने इतने बड़े भंडारे का आयोजन करवाया है जिसमें उसने पुरे गाँव वालो और साधु संतो को निमंत्रण भेजा है। 



गाँव के सभी लोग पंडित श्रीधर के घर और सभी साधु संत भी  पहुँच गए जिनमे भैरवनाथ भी मौजूद थे लेकिन इधर श्रीधर व्याकुल थे क्यूँकि उन्होंने सभी गाँव वालो को और साधु संतो को निमंत्रण भेज कर बुला तो लिया है लेकिन उनको खिलाने के लिए उनके घर में कुछ नहीं था श्रीधर ये सब सोच ही रहे थे की एक कन्या ने ( माता वैष्णो देवी ने ही कन्या का रूप धारण किया था )  उनके घर में प्रवेश किया और श्रीधर से कहा की तुम बाहर जाओ और सभी के खाने के लिए व्यवस्था करो जाकर में जब तक यहाँ भोजन बना रही हूँ। 

पंडित श्रीधर ने वैसा ही किया जब वो घर के अंदर आया तो देख कर हैरान रह गया और मन ही मन सोचने लगा की मेरे घर में तो खाने के  लिए एक भी दाना भी नहीं था तो इस कन्या ने इतना सारा भोजन कैसे बना लिया और इतनी जल्दी लेकिन श्रीधर ने उस कन्या को पहचान लिया की वो कन्या  माता वैष्णो देवी ही है है जो उसकी सहायता के लिए आज कन्या का रूप धारण करके उसकी सहायता के लिए आयीं हैं।  

जब श्रीधर सबको भंडारे का भोजन कराने लगे तो भैरवनाथ ने श्रीधर से भंडारे के भोजन की जगह मांस और मदिरा की माँग रखी लेकिन श्रीधर ने अस्वीकार करते हुए भैरवनाथ से कहा की ये माता के भंडारे का भोजन है आपको यही स्वीकार करना होगा ऋषिवर आप इसी भोजन को ग्रहण करें। 

लेकिन हटी भैरवनाथ नहीं माना  उसने कई बार पंडित श्रीधर से कहा  मांस मदिरा ही चाहिए लेकिन फिर कन्या ने भी मना कर दिया वो फिर भैरवनाथ ने अपने क्रोध में कन्या को पकड़ना चाहते थे लेकिन वह कन्या वह से त्रिकूट पर्वत  की ओर चलीं गयीं और पीछे पीछे भैरवनाथ भी चला गया। 

माता ने त्रिकूट पर्वत की एक गुफा में वहाँ पर उन्होंने नौ महीनों तक तपस्या की थी। वर्तमान में उस गुफा को अर्द्धकुंवारि के रूप में जानी जाती है 



नौ महीनों तक भैरवनाथ ने अपनी तपस्या से माता के बारे में उसे सब कुछ मालूम चल गया और वो उस गुफा की ओर चला जहाँ माता तपस्या कर रहीं थीं वहाँ पहुँचने  पर भैरवनाथ का भीषण युद्ध महाबली हनुमान जी से हुआ लेकिन उसी दौरान माता ने हनुमान जी को रोकते हुए कहा की हनुमान रुको इस भैरवनाथ का वध तुम नहीं में करूंगी। 

फिर माता ने अपने त्रिशूल से भैरवनाथ का सर उसके धड़ से अलग कर दिया त्रिशूल से धड़ अलग होकर सर काफी दूर जाकर गिरा और भैरवनाथ  के मुँह से माँ माँ शब्द कई बार निकला और भैरवनाथ के सर ने माता वैष्णो देवी से माफ़ी मांगी और कहा की माता मुझे माफ़ कर दो और मुझे आशीर्वाद दो की मुझे कोई आपका शत्रु न समझे। 

माता वैष्णो देवी ने भैरवनाथ के ये वचन सुन कर कहा की आज से मेरे साथ ही तुम भी पूजे जाओगे और भी भक्त मेरे दर्शन करने के बाद तुम्हारे दर्शन नहीं करेगा उसकी पूजा पूर्ण नहीं होगी उसके द्वारा मेरे किये हुए दर्शन अधूरे ही रह जायेंगे। 

इसीलिए जब भी कोई श्रद्धालु  माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए आते हैं वो भैरवनाथ के दर्शन किये बिना जाते है उनकी यात्रा अधूरी मानी जाती है इसीलिए सारे श्रद्धालु माता के दर्शन करने के बाद भैरवनाथ के भी दर्शन करने जाते हैं और सभी श्रद्धलुओं की यात्रा पूर्ण होती है। 

VAISHNO DEVI YATRA IN HINDI
MATA VAISHNO DEVI YATRA


वैष्णो देवी की यात्रा कहाँ से शुरू करें और कैसे करें। Where to start and how to start Vaishno Devi yatra in hindi। Vaishno Devi Yatra 2023 in hindi 

Vaishno Devi Yatra 2023 in hindi - माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए यात्रा प्रारम्भ तो कटरा से ही होती है श्रद्धालु भारत के अलग अलग जगहों से यहाँ आते हैं और कटरा पहुँचने के बाद श्रद्धालु अपने सही समय के अनुसार यात्रा प्रारम्भ करते हैं। 

यात्रा कटरा से प्रारम्भ होकर माता के भवन से होते हुए भैरवनाथ  के मंदिर पर जाकर पूर्ण होती है। 

कटरा में टेक्सी स्टेण्ड के सामने यात्रा की पर्ची का कार्यालय है जहाँ से यात्रा का पहला पड़ाव शुरू होता है यहाँ से सभी श्रद्धालुओं को पर्ची दी जाती है जिसका कोई शुल्क नहीं होता है यात्रा के पहले पड़ाव में सभी श्रद्धालुओं को यहाँ से पर्ची लेकर बाण गंगा के चेक पॉइंट तक 3 घंटे में पहूँचना होता है वरना आपकी पर्ची रद्द कर दी जाएगी वैसे भी आप आसानी से बाण गंगा तक पहुँच जाओगे , पर्ची कार्यलय से बाण गंगा की दुरी लगभग 2 किलोमीटर की है बाण गंगा के चेक पॉइंट पहुंचने पर यात्रा का पहला पड़ाव पूरा होता है। 

यात्रा का दूसरे पड़ाव में जो भी श्रद्धालु बाण गंगा में स्नान करके यात्रा शुरू करना चाहते हैं वो स्नान करके अपनी यात्रा शुरू करते है और जो श्रद्धालु पैदल यात्रा नहीं करना चाहते है वो सभी बाण गंगा से घोड़े के द्वारा यात्रा कर सकते हैं जो बच्चों के साथ है उनके लिए यहाँ के स्थानीय लोग पिट्ठू का काम करते हैं ये लोग श्रद्धालुओं के सामान और बच्चों को अपनी पीठ पर ले जाकर यात्रा करवाते हैं और सभी बुजुर्ग श्रद्धालुओं  पालकी की भी सुविधा मिल जाएगी जिससे सभी श्रद्धालुओं को अपनी यात्रा पूर्ण करने में आसानी हो जाती है। 


घोड़े , पिट्ठू और पालकी इन सभी का शुल्क यहाँ आपको एक समान ही मिलेगा इन सभी की मदद से श्रद्धालु अपनी यात्रा बिना किसी बड़ी कठिनाई से पूर्ण कर पाते हैं। 

यहाँ से आगे बढ़कर श्रद्धालुओं को माता के पदचिन्हों के दर्शन होते हैं चरणपादुका के नाम से यह मंदिर यात्रा का पहला मंदिर है जिसमे श्रद्धालु दर्शन करते हैं इस मंदिर में माता के पैरों के निशान आज भी देखे जा सकतें हैं यहाँ से यात्रा की चढाई काफी कठिन होती है यहाँ से सभी श्रद्धालुओं को अर्धकुंवारी तक अपना दूसरा पड़ाव पूरा करते है रास्ते में जलपान और भोजन के लिए सुविधाएँ भी है जहाँ आप विश्राम करके अपनी यात्रा पुनः प्रारम्भ कर सकतें हैं और अर्धकुंवारी तक अपने दूसरे पड़ाव की यात्रा पूर्ण करते हैं। 

अर्धकुंवारी पहुँचने पर श्रद्धालु विश्राम करते हैं और जलपान और भोजन करते है उसके बाद यहाँ श्रद्धालुओं को गर्भजून की गुफा के दर्शन होते हैं जिसके लिए यहाँ नंबर की पर्ची दी जाती है जिन श्रद्धालुओं का नंबर जल्दी आने वाला होता है वो दर्शन करने के बाद ही आगे बढ़ते हैं और जिनके नंबर आने में समय होता है वो श्रद्धालु वापस आते समय गुफा के दर्शन कर लेते हैं नंबर आने श्रद्धालुओं को 3 से 4 की संख्या में अंदर भेजा जाता है 

इस गर्भजून की गुफा में माता ने नौ माह तक तपस्या की थी ,अर्धकुंवारी में श्रद्धालुओं को अपने सामान रखने के लिए भी व्यवस्था मिल जाएगी जिससे सभी श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के गर्भजून की गुफा के दर्शन करते हैं। 



गर्भजून की गुफा के दर्शन के बाद अगला पड़ाव यहाँ से माता के भवन पर जाकर ही पूरा होता है रास्ते में आपको यहाँ भी जलपान और भोजन के लिए व्यवस्था मिल जायगी जहाँ आप विश्राम करके अपनी यात्रा पुनः प्रारम्भ कर सकते हैं माता के भवन पहुँचने पर यहाँ आपको अपने सामान रखने के लिए क्लॉक रूम भी मिल जायँगे 

श्रद्धालु यहाँ से प्रसाद लेकर माता के भवन जाने वाली लाइन में लग कर आप माता के उन तीन पवित्र रूपों के दर्शन करते हैं जिनके दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु दूर दूर से यहाँ आते हैं। 

माता के दर्शन करने के बाद आप भैरवनाथ के मंदिर तक पैदल यात्रा भी कर सकते हैं या फिर घोड़े की सहायता से पहुँच सकते हैं यहाँ आप कुछ देर विश्राम करके फिर श्रद्धालु प्रसाद लेकर भैरवनाथ के मंदिर के दर्शन करते हैं भैरवनाथ के दर्शन बाद ही श्रद्धालुओं की माता वैष्णो देवी की यात्रा पूर्ण मानी जाती है। 



कैसे पहुँचे माता वैष्णो देवी के मंदिर। How to reach Mata vaishno Devi temple in hindi

माता के दरबार तक पहुँचने के लिए कटरा से लगभग 50 किलोमीटर की दुरी पर जम्मू में आपको बस , ट्रैन और हवाई यात्रा के साधन मिल जायेंगे ये सभी सेवाएँ भारत के कई बड़े राज्यों से जुडी हुई है। 

जम्मू तक आपको लगभग सभी राज्यों से ट्रैन और हवाई यात्रा का साधन मिल जायेगा और निजी बस सेवा जम्मू तक मिल जाती हैं जम्मू से लगभग 50 किलोमीटर की दुरी पर स्थित कटरा जहाँ से आप माता के दरबार के दर्शन कर सकते हैं। 

भारत के कई राज्यों से सीधे कटरा तक के लिए भी ट्रैन सुविधा है जो आपको सीधे कटरा तक लाती है   


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