श्री श्याम मंदिर -खाटू श्याम जी। Khatu Shyam Ji Story in Hindi

श्री श्याम मंदिर -खाटू श्याम जी। खाटू श्याम जी के दर्शन। Shree Shyam Mandir | Khatu Shyam Ji Story in Hindi 



 


श्री श्याम मंदिर । Khatu Shyam Mandir




khatu shyam ji story in hndi




khatu shyam mandir rajasthan - राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है यह श्री श्याम जी का मंदिर ( khatu shyam mandir ) भगवान कृष्ण के कई प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है यह मंदिर। खाटू श्याम जी के इस मंदिर की हिंदू भक्तों में बहुत ज्यादा मान्यता है। यहाँ हर वर्ष लाखों भक्त बाबा श्याम जी के दर्शन के लिए आते हैं। खासतौर पर फरवरी से मार्च के बीच यहाँ लगने वाले मेले के अवसर पर सबसे ज्यादा श्रद्धालु आते हैं। 



खाटू श्याम जी के मंदिर  (khatu shyam mandirका निर्माण यहाँ के राजा रूप सिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कंवर के द्वारा सन १०२७ में करवाया गया था। इस मंदिर का इतिहास हिन्दू धर्म के सबसे बड़े ग्रन्थ महाभारत के समय का है। 


 






खाटू श्याम जी का इतिहास। History Of Khatu Shyam Ji in Hindi 



खाटू श्याम जी का इतिहास कलियुग से भी पहले द्वापर युग से माना जाता है। द्वापर युग में हुए युद्ध जिसे महाभारत के नाम से जाना जाता है तब से है खाटू श्याम जी का इतिहास। जो आज खाटू श्याम जी के नाम से पूरी दुनिया भर में पूजे जाते है। वो पांडवों में से महाबली भीम के पुत्र घटोत्कच और उनकी पत्नी मौरवी के पुत्र बर्बरीक हैं। 




shree shyam | khatu shyam ji
Khatu Shyam 




बर्बरीक बचपन से ही वीर योद्धा थे। माता नव दुर्गा की घोर तपस्या करके बर्बरीक ने माता से वरदान के रूप में तीन अमोघ बाणों को प्राप्त किया था। " खाटू श्याम जी को तीन बाण धारी भी कहा जाता है " जिससे तीनो लोकों को जीता जा सकता था। महाभारत युद्ध के आरम्भ में ही बर्बरीक ने महाभारत के युद्ध में शामिल होने की इच्छा जताई। उन्होंने माता मौरवी से कहा में युद्ध में भाग लेने जा रहा हूँ। 


 


माता मौरवी ने बर्बरीक से कहा युद्ध स्थल में जाने से पहले मुझे दो वचन दे कर जाओ। की रास्तें में तुमसे कोई भी कुछ भी मांगे तो तुम मना नहीं करोगे और दूसरा यह की तुम हरे का सहारा बनोगे। माता मौरवी के इन वचनों को सुन कर बर्बरीक ने जो आज्ञा माता आपने जैसा कहा है वैसा ही होगा। इतना कहने के बाद बर्बरीक वहाँ से चल दिए युद्ध भूमि के तरफ। 






श्री कृष्ण जी को बर्बरीक के इन वचनों का पता चला तो उन्होंने एक ब्राह्मण का रूप धारण करके वो बर्बरीक के पास आये। और बर्बरीक से कहा हे वीर योद्धा कहा जा रहे हो तुम। तो वीर बर्बरीक ब्राह्मण देवता से बोले में इस महाभारत के युद्ध में भाग लेने जा रहा हूँ। तो ब्राह्मण देवता बोले इस युद्ध में तो बहुत बड़े -बड़े महारथी महाबली योद्धा है दुर्योधन ,कर्ण ,भीम ,अर्जुन जैसे महारथी युद्ध में है तुम कहाँ उनसे जा रहे हो। 


 



और श्री कृष्ण जी ने पूछा की तुम किस की तरफ से युद्ध में भाग लेने जा रहे हो। तो बर्बरीक ने कहा में अपनी माता को वचन देकर आया हूँ की युद्ध में जो पछ हारेगा में उनकी तरफ से युद्ध करूंगा। तो फिर श्री कृष्ण जी ने बर्बरीक से पूछा की तुम युद्ध कैसे करोगे इन तीन बाणो से तो वीर बर्बरीक ने कहा की हाँ में अपने इन्ही तीनो बाणों में से सिर्फ एक बाण से युद्ध को ख़त्म कर दूंगा। और कहाँ की में जिसका भी नाम लेकर बाण छोडूंगा ये उनका अंत करके वापस मेरे आ जायेगा मेरा बाण।  



श्री कृष्ण ने जब ये सुना तो उनसे कहाँ की ये सामने खड़े इस पीपल के पेड़ के सभी पत्तों को भेद कर दिखाओ। तो वीर बर्बरीक ने अपने तरकस से एक तीर निकला और धनुष पर चढ़ा कर पीपल के पेड़ की तरफ छोड़ दिया।तीर सभी पत्तों को भेद कर श्री कृष्ण के पैर की तरफ आया तभी वीर बर्बरीक ने ब्राह्मण देवता आप अपना पैर हटा लो आपके पैर के नीचे एक पत्ता दबा हुआ है। जब ये सब श्री कृष्ण जी ने देखा तो उन्होंने सोचा की अगर बर्बरीक ने इस युद्ध में भाग लिया तो इस युद्ध का कोई निर्णय ही नहीं निकलेगा। 



 


ये बालक तो उस पछ की तरफ से युद्ध करेगा जो हारेगा यानि पांडव हारने लगेंगे तो पांडवों की तरफ से और अगर कौरव हारने लगेंगे तो कौरवों की तरफ से युद्ध करने लगेगा। तो फिर ब्राह्मण रूपी श्री कृष्ण ने वीर बर्बरीक से दान की मांग की उन्होंने वीर बर्बरीक से उनके शीश का दान माँग लिया। बर्बरीक ने अपनी माता को वचन दिया था की उनसे रास्ते में कोई भी कुछ भी मांगेगा वो मना नहीं करंगे। बर्बरीक ने ब्राह्मण देवता से कहा की शीश  अवश्य दूंगा लेकिन कोई साधारण ब्राह्मण शीश का दान नहीं माँग सकता। 






वीर बर्बरीक ने की हे ब्राह्मण देवता मेरे शीश का दान मांगने वाला ब्राह्मण साधारण नहीं हो सकता है आप मुझे अपने असली रूप में दर्शन दीजिये। श्री कृष्ण ने उसी समय वीर बर्बरीक को अपने असली रूप के दर्शन दिए। और उसी समय वीर बर्बरीक ने अपने शीश का  पहले महाभरत के युद्ध को देखने की इच्छा जताई। और अपना शीश अपने धड़ से अलग कर दिया। " खाटू श्याम जी को शीश का दानी भी कहा जाता है " श्री कृष्ण जी ने उनकी इच्छा को स्वीकार करते हुए उनके शीश को युद्ध स्थल के पास सबसे ऊँची पहाड़ी पर रख दिया। 



यहाँ से वीर बर्बरीक सारा युद्ध देख सकते थे। श्री कृष्ण जी ने बर्बरीक के शीश को वरदान दिया की तुम्हे कलयुग में मेरे नाम श्याम नाम से पूजा जायेगा। इसीलिए आज वीर बर्बरीक को खाटू श्याम जी नाम से पूजा जाता है। और कहा की जो वचन जो तुम अपनी माता को दे कर आये थे की तुम हारे का सहारा बनोगे। वो वचन हमेशा सत्य होगा ही होगा। तुम्हारे द्वार से कोई भी हार के नहीं जायेगा। इसलिए आज खाटू श्याम बाबा को " हारे का सहारा " भी कहा जाता है। 



और में अब क्या बतायूँ बाबा श्याम के बारे में। में तो इतना ही बोल सकता हूँ " मेरी पहचान मेरा खाटू वाला श्याम "
आपको भी एक बार श्याम बाबा के दरबार में जरूर जाना चाहिए। कहते हैं उनसे जो भी मांगों उन्हें वो लाखों करोड़ों बार देते हैं। इसलिए बाबा श्याम को " लखदातार " भी कहा जाता है " ॐ श्री श्याम देवाय नमः "



 




खाटू श्याम जी के मंदिर कैसे पहुँचे। How To Reach Khatu Shyam Temple in Hindi 


श्याम बाबा के मंदिर तक आप देश के किसी भी कोने से आ सकते हो और किसी भी मार्ग से यहाँ पहुँच सकते हो चाहें वो सड़क मार्ग हो या रेलवे मार्ग या फिर हवाई मार्ग हो। चलिए इन मार्गों को थोड़ा विस्तार से समझतें हैं। 



* सड़क मार्ग से : How To Reach Khatu Shyam Temple by Road in Hindi 


खाटू श्याम मंदिर पहुँचने के लिए आपको किसी भी राज्य बस सेवा मिल जाएगी जो आपको रींगस बस स्टैंड तक लाएगी यहाँ से आपको टैक्सी या फिर जीप आसानी से मिल जाएगी जो आपको सीधे मंदिर तक लाएगी। या फिर अपने निजी वाहन से आएंगे तो यहाँ का रष्ट्रीय राजमार्ग ११ देश की राजधानी दिल्ली से जुड़ा हुआ है जो आपको सीधे रींगस लाएगा। यहाँ से आसानी से मंदिर तक पहुँच सकते हैं। 



* रेल मार्ग से : How To Reach Khatu Shyam Temple by Train in Hindi 


खाटू श्याम जी मंदिर के सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन रींगस का है जोकि मंदिर से लगभग १८ किलोमीटर की दुरी पर है। रींगस रेलवे स्टेशन पहुँचने  के बाद आपको यहाँ से भी टैक्सी , जीप की सुविधा आसानी से मिल जाएगी जिसके जरिये आप मंदिर तक पहुँच सकतें हैं। 



* हवाई मार्ग से : How To Reach Khatu Shyam Temple by Flight in Hindi 


अगर आप खाटू श्याम हवाई जहाज से आना चाहते है तो आपको सबसे पहले जयपुर आना होगा यहाँ से आपको बस ,टैक्सी आसानी से मिल जाएगी जो आपको आसानी से खाटू श्याम मंदिर तक पहुंचा देंगी। 


 






अपने मेरे इस लेख में बाबा खाटू श्याम के बारे में जाना है अगर आपको मेरे द्वारा दी गयी जानकरी अच्छी लगी  हो तो मुझे कमेंट करके जरूर बताएं। और अगर त्रुटि हो गयी हो तो उसके लिए क्षमा चाहूँगा धन्यवाद जय श्री श्याम। 



और पढ़े : 











No comments:

Powered by Blogger.